नर्मदापुरम जिले के गैरसरकारी संगठन विदिशा सोशल वेलफेयर आर्गनाइजेशन ने बाल विवाह पर नई दिल्ली में हुई कार्यशाला में लिया हिस्सा

मई 24, 2024 - 10:49
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नर्मदापुरम जिले के गैरसरकारी संगठन विदिशा सोशल वेलफेयर आर्गनाइजेशन ने बाल विवाह पर नई दिल्ली में हुई कार्यशाला में लिया हिस्सा

नर्मदापुरम- देश से 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए असाधारण एकता और दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन करते हुए 2024-25 के लिए बाल विवाह के खिलाफ रोडमैप तैयार करने के लिए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तकरीबन 200 सहयोगी संगठन नई दिल्ली में इकट्ठा हुए। कार्यशाला में मिले विचारों और उस पर अमल को उत्साहित नर्मदापुरम जिले में काम कर रहे विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन आश्वस्त है कि वह जिले को और अंतत: राज्य को 2030 बाल विवाह मुक्त बनाएगा। 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान जमीनी स्तर पर 2022 में शुरू हुआ, जिसने अपनी पहुंच, प्रभाव और सहयोगियों के नेटवर्क में उल्लेखनीय विस्तार किया है। पिछले वर्ष तक अभियान के 161 सहयोगी संगठन देश के 17 राज्यों के 300 जिलों में काम कर रहे थे जबकि अब यह अभियान 22 राज्यों तक पहुंच चुका है। इनमें से ज्यादातर जिले ऐसे हैं जिन्हें बाल विवाह की ऊंची दर वाले जिलों के रूप में चिह्नित किया गया है। यद्यपि अभियान का मुख्य फोकस बाल विवाह पर है लेकिन यह बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल यौन शोषण जैसे बच्चों के सुरक्षा व संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी काम कर रहा है। कार्यशाला में मिले अनुभवों और सीखों के बारे में बात करते हुए ... विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक राम रघुवंशी ने कहा, "हमारे लिए यह गर्व की बात है कि बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे हमारे जैसे तमाम संगठन बाल विवाह के खात्मे के साझा लक्ष्य के लिए साझा प्रयास कर रहे हैं। इस कार्यशाला में हमने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नए और लक्ष्य केंद्रित तरीके सीखे। इस नए रोडमैप के साथ हम जमीनी स्तर पर नए विचारों पर अमल में सक्षम होंगे एवं राज्य और अपने जिले में बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति करेंगे। हम अपने जिले में पंचायतों, जिला परिषदों और पंचों-सरपंचों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे। जमीनी स्तर पर जनजागरूकता अभियानों और कानूनी हस्तक्षेपों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि लोगों में नैतिक जवाबदेही का भाव पैदा करने के अलावा उन्हें इस बाबत जागरूक किया जा सके कि बाल विवाह अपराध है और उन्हें इस गैरकानूनी काम के नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।" इस राष्ट्रीय कार्यशाला में चले मंथन के बाद 2024-25 के लिए अभियान के रोडमैप पर सहमति बनी जिसमें तय किया गया कि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण में कानूनी दखल सबसे प्रभावी औजार है। इन गैरसरकारी संगठनों का उद्देश्य अपने जिलों में जिला प्रशासन और बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के साथ समन्वय से बाल विवाह के खिलाफ बने कानूनों पर अमल सुनिश्चित करना और जनजागरूकता अभियान चलाना, लोगों को बाल विवाह नहीं करने के लिए समझाना-बुझाना और कानूनी उपायों की मदद से बाल विवाह की रोकथाम करना है। इस अभियान के मूल में बाल विवाह के खात्मे के लिए प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु की बेस्टसेलर किताब 'व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज' में सुझाई गई कार्ययोजना है। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए राज्य सरकारों व प्रशासनिक अमले के साथ करीबी समन्वय के साथ सहयोगी है। कार्यशाला में तय रोडमैप पर तत्काल अमल की जरूरत को रेखांकित करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संयोजक रवि कांत ने कहा, "बाल विवाद जैसी समाज में गहरे जड़े जमाए बैठी सामाजिक बुराई के खात्मे के लिए इस तरह के बड़े पैमाने पर साझा रणनीतिक प्रयास अहम हैं। अगर इस चुनौती से निपटना है तो एक साझा और सोची-समझी रणनीति पर अमल जरूरी है। जमीन पर काम कर रहे इन गैरसरकारी संगठनों का असर व्यापक है लेकिन एक सामूहिक अभियान के सदस्य के तौर पर ये जिस ऊर्जा का संचार करते हैं, वह अकल्पनीय बदलाव लाने की ताकत रखती है। आज बाल विवाह के लिए ग्राम प्रधानों की जवाबदेही तय करके और यह सुनिश्चित करके कि इस मुद्दे पर सभी हितधारक आपसी समन्वय और तालमेल से काम करें, सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां अहम कदम उठा रही हैं जो बाल विवाह के खात्मे की उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। बाल विवाह की कुरीति सदियों से जारी है लेकिन अब समय आ गया है जब इसे उखाड़ फेंका जाए। 1. ... विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक राम रघुवंशी ने कहा, " हम पंचायत प्रमुखों और सरकारी अमले के सात मिलकर काम करना जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारे जिले का एक-एक गांव बाल विवाह मुक्त हो। इस कार्यशाला में हमें यही सीख मिली है और हम इस पर तत्काल कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम पहले से ही भुवन ऋभु की किताब 'व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज' में सुझाई गई रणनीतियों पर अमल कर रहे हैं और इससे हमें खासी सफलताएं मिली हैं। 2. विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक श्री राम रघुवंशी ने कहा, "जब बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम रहे देश के विभिन्न हिस्सों से आए संगठन जमीनी स्तर पर अपनी उपलब्धियों, अनुभवों और चुनौतियों को साझा कर रहे हों तो यह एक अवसर है जो हमें एक दूसरे से सीखने का मौका देता है। अब इस साल के लिए हमारे पास एक लक्ष्यकेंद्रित रोडमैप है जिस पर हम गांव स्तर पर अमल कर लक्षित निषेधाज्ञाओं, कानूनी कार्रवाइयों और साथ-साथ जागरूकता अभियानों के जरिए बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करेंगे।" 3. विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक राम रघुवंशी ने कहा, "बाल विवाह की रोकथाम के लिए इस वर्ष हमारा ध्यान मुख्य रूप से कानूनी हस्तक्षेपों पर है। जब तक लोगों में कानून का भय पैदा नहीं होता तब तक लोगों के रवैये में बदलाव लाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। यद्यपि हम लोग बाल विवाहों की रोकथाम में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे लेकिन यह भी सुनिश्चित करेंगे कि जिन्होंने यह अपराध किया है, वे सजा से नहीं बच पाएं। " 4. विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक राम रघुवंशी ने कहा, "इस राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा होना हमारे लिए गर्व का विषय है। बाल विवाह की जड़ें बहुत गहरी हैं और इस चुनौती के खिलाफ एक सामूहिक लड़ाई ही देश से बाल विवाह के खात्मे को संभव बना सकती है। कार्यशाला में 2024-25 के लिए तय रोडमैप में यह पूरी तरह स्पष्ट है कि कानूनी दखल इसकी रोकथाम के लिए सबसे प्रभावी औजार है और हम आश्वस्त हैं कि कानूनी कार्रवाइयों और लक्षित निषेधाज्ञाओं से इस वर्ष हमें बड़ी संख्या में बाल विवाहों को रोकने में सहायता मिलेगी।" 5. विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक राम रघुवंशी ने कहा, "यह गर्व का विषय है कि बाल अधिकारों की सुरक्षा से जुड़े हमारे जैसे देश के तमाम संगठन बाल विवाह के खात्मे के साझा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए साझा रणनीति के साथ काम कर रहे हैं। यद्यपि हमारा लक्ष्य वही है लेकिन इस कार्यशाला में हमने नए और लक्ष्यकेंद्रित तरीके सीखे। हम अपने जिलों में जिला और पंचायत प्राधिकारियों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे और जागरूकता अभियानों एवं लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से लोगों में नैतिक जवाबदेही का भाव पैदा करने के अलावा उन्हें इस बाबत जागरूक करेंगे कि बाल विवाह गैरकानूनी है और उन्हें इस गैरकानूनी काम के नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।

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